रूस और भारत तेल व गैस क्षेत्र में सहयोग का विकास करेंगे
रूस स्थित भारत के राजदूत पंकज सरन ने रूस के ऊर्जा उपमन्त्री अनतोली यनोवस्की से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात के बारे में जानकारी देते हुए रूस के ऊर्जा मन्त्रालय ने सूचित किया है कि रूस और भारत तेल व गैस क्षेत्र, अक्षय ऊर्जा क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में आपसी सहयोग का विकास करना चाहते हैं।
यह मुलाक़ात भारत की पहल पर की गई। भारत के तेल और प्राकृतिक गैस मन्त्री धर्मेन्द्र प्रधान की ओर से रूस स्थित भारत के राजदूत ने बताया कि भारत ब्रिक्स के मन्त्री स्तरीय गोलमेज़ सम्मेलन में और ’पैट्रोटैक-2016’ नामक 12 वें अन्तरराष्ट्रीय तेल व गैस सम्मेलन में रूसी प्रतिनिधिमण्डल की सहभागिता का ऊँचा मूल्यांकन करता है। रूस ने दिसम्बर के शुरू में भारत में आयोजित इन दोनों कार्यक्रमों में अपनी हिस्सेदारी की पुष्टि की और दो देशों के बीच सहयोग के आगे विकास के लिए हर तरह की कोशिश किए जाने की भारत की इच्छा का समर्थन किया।
रूस के ऊर्जा मन्त्रालय द्वारा दी गई सूचना में कहा गया है — इस मुलाक़ात के दौरान रूस और भारत के बीच ऊर्जा क्षेत्र में किए जा रहे सक्रिय सहयोग के विकास की ओर बड़ा ध्यान दिया गया। दोनों पक्षों ने तेल व गैस क्षेत्र में, अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में तथा अन्य क्षेत्रों में आपसी सहयोग को और अधिक बढ़ाने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है।
हाल ही में भारतीय कम्पनियाँ वनकोरनेफ़्त नामक रूसी कम्पनी की हिस्सेदार बन गई हैं। यह कम्पनी वनकोरनेफ़्त तेल और गैस भण्डार से तेल और गैस का दोहन करेगी। ऑयल इण्डिया लिमिटेड, इण्डियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड और भारत पैट्रो रिसोर्सेस लिमिटेड नामक भारतीय कम्पनियों के कम्पनी-समूह ने वनकोरनेफ़्त कम्पनी की 23.9 प्रतिशत हिस्सेदारी ख़रीद ली है। ओएनजीसी पहले ही इस कम्पनी में 15 प्रतिशत की हिस्सेदार थी। अक्तूबर में रूसी कम्पनी ’रोसनेफ़्त’ ने भारतीय कम्पनी ओएनजीसी को वनकोरनेफ़्त कम्पनी के और 11 प्रतिशत शेयर बेच दिए, इस तरह अब ओएनजीसी इस कम्पनी में 26 प्रतिशत की हिस्सेदार बन गई है। इस तरह रूस की वनकोरनेफ़्त कम्पनी में भारत की सरकारी तेल और गैस कम्पनियों की कुल हिस्सेदारी 49.9 प्रतिशत हो गई है।
पहली बार रिया नोवोस्ती में प्रकाशित।