सेण्ट पीटर्सबर्ग में पूतिन ने मोदी से बातचीत की
1 जून को अन्तरराष्ट्रीय पितेरबुर्ग (पीटर्सबर्ग) आर्थिक फ़ोरम के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी से मुलाक़ात की। प्रधानमन्त्री मोदी पहली बार साँक्त पितेरबुर्ग आए हैं।
राष्ट्रपति पूतिन ने बताया कि रूस और भारत के बीच सद्भावनापूर्ण और मैत्रीपूर्ण वातावरण में काफ़ी फलप्रद और सारगर्भित बातचीत हुई।
बातचीत समाप्त होने के बाद व्लदीमिर पूतिन ने कहा — रूस और भारत के बीच वार्षिक शिखर मुलाक़ात का सिलसिला पिछले अनेक वर्षों से जारी है और अब इन मुलाक़ातों की एक अच्छी और लाभप्रद परम्परा बन गई है। हमारे बीच हमेशा गर्मजोशी और सद्भावना के वातावरण में सारगर्भित और फलप्रद बात होती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ।
रूस-भारत रिश्तों पर राजनीति का कभी कोई असर नहीं पड़ा : पूतिन
रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने इस बात की एक बार फिर पुष्टि की कि भारत में रूसी डिजाइन के कुल 12 एटमी ऊर्जा यूनिट बनाए जाएँगे। इसके अलावा दोनों देश औषधि उत्पादन, एवियेशन और मोटर-निर्माण तथा कृषि के क्षेत्र में 19 अन्य परियोजनाओं पर भी अमल करेंगे।
व्लदीमिर पूतिन ने कहा — बीते दशकों में हमारे दो देशों के बीच दोस्ताना माहौल में पारस्परिक समझ का बड़ी तेज़ी से विकास हुआ है। आज रूसी भारतीय सहयोग प्राथमिकता प्राप्त विशेष रणनीतिक स्तर पर पहुँच गया है।
रूसी नेता ने बताया कि रूस और भारत ने आपसी सहयोग की कई नई सँयुक्त परियोजनाएँ बनाई हैं। हमारी यह सहमतियाँ साँक्त पितेरबुर्ग घोषणापत्र में शामिल हुई हैं। हमने जो क़दम उठाने का फ़ैसला किया है, उनसे राजनीतिक, आर्थिक और मानवीय क्षेत्रों में हमारा पारस्परिक सहयोग और गहरा होगा। अपने आपसी व्यापार को बढ़ाना तथा उसका विकास करते हुए उत्पादन-सहयोग को व्यापक बनाना हमारे इन क़दमों की प्राथमिकता होगी।
रूस के राष्ट्रपति ने याद दिलाया कि पिछले कुछ सालों में रूसी-भारतीय व्यापार कम हुआ है। उन्होंने कहा — बड़े सन्तोष के साथ हम यह बताना चाहते हैं कि इस साल हमारे आपसी व्यापार में सकारात्मक रूप से वृद्धि हो रही है। 2017 की पहली तिमाही में हमारे पारस्परिक व्यापार में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पारस्परिक पूंजी निवेश के क्षेत्र में भी स्थिति सकारात्मक बनी हुई है। भारतीय अर्थव्यवस्था में रूसी कम्पनियों ने 4 अरब डॉलर का पूंजी निवेश किया है, वहीं दूसरी तरफ़ भारतीय कम्पनियों ने रूस में 8 अरब डॉलर का निवेश किया है। व्लदीमिर पूतिन ने कहा — ये आँकड़े दिखाते हैं कि रूसी-भारतीय आर्थिक सहयोग फिर से पटरी पर आ रहा है और तेज़ी से विकसित होता जा रहा है। इस सकारात्मक प्रवृत्ति को बनाए रखना ही हमारे दोनों देशों के हित में होगा।
शंसस में भारत-पाक के शामिल होने से उसमें आने वाले बदलाव
परमाणु क्षेत्र में दो देशों के बीच किए जा रहे सहयोग पर व्लदीमिर पूतिन ने विशेष रूप से चर्चा की। उन्होंने बताया कि रूस कुडनकुलम एटमी बिजलीघर में पहले ही दो यूनिट बनाकर भारत को सौंप चुका है। आजकल तीसरे और चौथे यूनिटों के निर्माण का काम जारी है। उन्होंने कहा — हमने एक बार फिर से इस बात की पुष्टि कर ली है कि भारत में रूसी डिजाइन के कम से कम 12 एटमी ऊर्जा यूनिट बनाए जाएँगे। भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास के क्षेत्र में रूस का यह एक बड़ा योगदान होगा।
गुरुवार को रूस और भारत ने कुडनकुलम एटमी बिजलीघर में तीसरे दौर में पाँचवे और छठे यूनिटों के निर्माण के बारे में प्रमुख अनुबन्ध पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ-साथ इस परियोजना को पूरा करने के लिए ज़रूरी अन्तरसरकारी ऋण समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए।
इस अवसर पर बोलते हुए भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कहा — हमारे बीच विश्वस्त मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बन गए हैं, जिनका लम्बा इतिहास है। जल्दी ही हम आपकी सक्रिय भूमिका और सहयोग की वजह से शंघाई सहयोग संगठन (शंसस) के भी पूर्णाधिकार प्राप्त सदस्य बन जाएँगे। नरेन्द्र मोदी ने इस सिलसिले में भारत को दिए गए समर्थन के लिए रूस के राष्ट्रपति के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा — रूस-भारत सम्बन्ध स्थिर गति से विकसित हो रहे हैं, उनमें कभी कोई कमज़ोरी नहीं दिखाई दी। हम एक-दूसरे के हाथ में हाथ डालकर साथ-साथ आगे बढ़ रहे हैं।
व्लदीमिर पूतिन के साथ वार्ता ख़त्म होने के बाद सँयुक्त पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा — उज्जवल भविष्य का निर्माण करने के लिए हमारे आपसी सहयोग को तेज़ करना बेहद ज़रूरी है। आज हमने महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए हैं – हमने साँक्त पितेरबुर्ग घोषणापत्र को स्वीकार किया है। यह घोषणापत्र हमारे राजनीतिक और आर्थिक सहयोग का मार्ग बनेगा। इसके साथ-साथ यह घोषणापत्र अन्तरराष्ट्रीय परिस्थिति की स्थिरता का भी आधार बनेगा।
नरेन्द्र मोदी ने कहा — हम सब अच्छी तरह से जानते हैं कि यह दुनिया परस्पर एक-दूसरे पर निर्भर है। हमारा बढ़ता हुआ आर्थिक सहयोग ही हमें गति प्रदान करता है।
अन्त में उन्होंने कहा — हमें अपनी गति बढ़ानी होगी और अपने आर्थिक रिश्तों के विकास की गति भी काफ़ी तेज़ करनी होगी। राष्ट्रपति पूतिन के साथ मिलकर हमने अपने सामने यही उद्देश्य रखा है और यही लक्ष्य तय किया है।
भारत-रूस रिश्तों में परमाणु ऊर्जा सहयोग का विशेष महत्व