ब्रिक्स में हमें आर्थिक सहयोग के साथ-साथ साँस्कृतिक सहयोग भी करना चाहिए
भारत और रूस के बीच राजनयिक रिश्तों की स्थापना की इन दिनों मनाई जा रही 70 वीं जयन्ती के अवसर पर रूसी मीडिया में भारत के इतिहास, कला और परम्पराओं को समर्पित लेख बड़ी संख्या में प्रकाशित हो रहे हैं। इस अभियान के महत्व पर ज़ोर देते हुए रूस में भारत के राजदूत पंकज सरन ने रूसी टेलीविजन चैनल ’कुल्तूरा’ को इण्टरव्यू दिया।
पंकज सरन ने कहा कि रूस और भारत के बीच सांस्कृतिक रिश्तों का विकास दुपक्षीय आधार पर तो होना ही चाहिए, लेकिन ब्रिक्स संगठन के अन्तर्गत भी दो देशों को आपस में सांस्कृतिक सहयोग करना चाहिए। हालाँकि ब्रिक्स का गठन शुरू में एक आर्थिक संगठन के तौर पर किया गया था, लेकिन अब ब्रिक्स के सदस्य देशों को संस्कृति सहित दूसरे सभी क्षेत्रों में भी आपसी सहयोग बढ़ाना चाहिए।
पंकज सरन ने कहा कि रूसी भारतीय रिश्तों के इतिहास में संस्कृति के क्षेत्र में फलप्रद सहयोग के भी बहुत से उदाहरण हैं, जैसे रूसी लेखकों की रचनाओं का भारतीय साहित्य पर भारी असर पड़ा है। रूसी चित्रकार और दार्शनिक निकलाय रेरिख़ भारत में बहुत लोकप्रिय हैं। इसी तरह भारतीय फ़िल्मों ने रूसी लोगों के दिल में घर बना रखा है।
रूस में मनाए जा रहे भारत के सांस्कृतिक वर्ष के अन्तर्गत भारत ने रूस में ’नमस्ते, रूस!’ महोत्सव का आयोजन किया है, जिसके अन्तर्गत रूस के मस्क्वा (मास्को), साँक्त पितेरबुर्ग (सेण्ट पीटर्सबर्ग) सोची, कज़ान येकतिरिनबूर्ग और व्लदीवस्तोक जैसे शहरों में भारतीय कलाकार, संगीतकार, नर्तक आदि अपनी-अपनी कलाओं का प्रदर्शन कर रहे हैं और वहाँ भारतीय फ़िल्मों के महोत्सव आयोजित किए जा रहे हैं।
रूस-भारत दोस्ती के 70 साल – यह तो बस शुरूआत ही है